Delhi to haridwar distance
आज हम बात करेंगे दिल्ली और हरिद्वार के टॉपिक पर जहां तक बात दिल्ली और हरिद्वार की दूरी की है तो लामसम 213 km
की है लगभग आज के टाइम हरिद्वार उत्तराखंड का सबसे पापुलर स्थानों में से एक है आज के टाइम हर कोई बांह टाइम निकाल के घूमना चाहेंगे क्योंकि उस जगह शिव की पौड़ी है और गंगा के लिए मसूर है जहां हजारों की संख्या में लोग घूमने और गंगा स्नान के लिए जाते रहते है और साथ ही माता मनसा देवी का धाम है और साथ ही माता रानी के दर्शन भी कर लेते है इसके कुछ अंगे चलकर ऋषि केश में घूमने का बहुत ही सुंदर और प्राकृतिक दृश्य है ऋषि केश भी लक्षण झूला और राम झूला के लिए बहुत ही मसूर है गंगे मां का इतना अच्छा दृश्य है की लोग एक बार जाने के बाद बार बार जाने का मन करते है और भी बहुत सारे धार्मिक स्थल है जहां लोगो की बड़ी श्रद्धा है और लोग जाते ही रहते है और लोगो की मनोकामना भी पूरी होती है और
हरिद्वार, उत्तराखण्ड के हरिद्वार जिले का एक पवित्र नगर तथा हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थ है। यह नगर निगम बोर्ड से नियंत्रित है। यह बहुत प्राचीन नगरी है। हरिद्वार हिन्दुओं के सात पवित्र स्थलों में से एक है। 3139 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अपने स्रोत गोमुख से 243 किमी की यात्रा करके गंगा नदी हरिद्वार में मैदानी क्षेत्र में प्रथम प्रवेश करती है, इसलिए हरिद्वार को 'गंगाद्वार' के नाम से भी जाना जाता है; जिसका अर्थ है वह स्थान जहाँ पर गंगाजी मैदानों में प्रवेश करती हैं। हरिद्वार का अर्थ "हरि का द्वार" होता है। पश्चात्कालीन हिंदू धार्मिक कथाओं के अनुसार, हरिद्वार वह स्थान है जहाँ अमृत की कुछ बूँदें भूल से घड़े से गिर गयीं जब धन्वन्तरी उस घड़े को समुद्र मंथन के बाद ले जा रहे थे। ध्यातव्य है कि कुम्भ या महाकुम्भ से सम्बद्ध कथा का उल्लेख किसी पुराण में नहीं है। प्रक्षिप्त रूप में ही इसका उल्लेख होता रहा है। अतः कथा का रूप भी भिन्न-भिन्न रहा है। मान्यता है कि चार स्थानों पर अमृत की बूंदें गिरी थीं। वे स्थान हैं:- उज्जैन, हरिद्वार, नासिक और प्रयाग। इन चारों स्थानों पर बारी-बारी से हर 12 वें वर्ष महाकुम्भ का आयोजन होता है। एक स्थान के महाकुम्भ से तीन वर्षों के बाद दूसरे स्थान पर महाकुम्भ का आयोजन होता है। इस प्रकार बारहवें वर्ष में एक चक्र पूरा होकर फिर पहले स्थान पर महाकुम्भ का समय आ जाता है कुछ महतुपूर्ण पर्यटक स्थल
- हर की पौड़ी श्रेणी ऐतिहासिक, धार्मिक हरिद्वार में गंगा के किनारे हर की पौड़ी प्रमुख और लोकप्रिय घाट है। ...
- चंडी देवी मंदिर श्रेणी धार्मिक ...
- मनसा देवी मंदिर श्रेणी धार्मिक ...
- पिरान कलियर श्रेणी धार्मिक ...
- सुरेश्वरी देवी मंदिर श्रेणी धार्मिक ...
- राजाजी राष्ट्रीय पार्क श्रेणी एडवेंचर, प्राकृतिक / मनोहर सौंदर्य
- हरिद्वार को ‘ईश्वर का प्रवेश द्वार’ भी कहा जाता है जिसे मायापुरी, कपिला, गंगाधर के रूप में भी जाना जाता है। जैसा की कुछ लोगो ने बताया है की यह देवभूमि चार धाम अर्थात बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के प्रवेश के लिए एक केन्द्र बिंदु है|
कहा जाता है कि महान राजा भगीरथ गंगा नदी को अपने पूर्वजों को मुक्ति प्रदान करने के लिए स्वर्ग से पृथ्वी तक लाये है। यह भी कहा जाता है कि हरिद्वार को तीन देवताओं ने अपनी उपस्थिति से पवित्र किया है ब्रह्मा, विष्णु और महेश | कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने हर की पैड़ी के ऊपरी दीवार में पत्थर पर अपना पैर प्रिंट किया है, जहां पवित्र गंगा हर समय उसे छूती है। भक्तों का मानना है कि वे हरिद्वार में पवित्र गंगा में एक डुबकी लगाने के बाद स्वर्ग में जा सकते हैं।
हरिद्वार चार स्थानों में से एक है; जहां हर छह साल बाद अर्ध कुंभ और हर बारह वर्ष बाद कुंभ मेला होता है। ऐसा कहा जाता है कि अमृत की बुँदे हर की पैड़ी के ब्रम्हकुंड में गिरती हैं इसलिए माना जाता है कि इस विशेष दिन में ब्रहमकुंड में किया स्नान बहुत शुभ है | प्राचीनतम जीवित शहरों में से एक होने के नाते, हरिद्वार प्राचीन हिंदू शास्त्रों में भी अपना उल्लेख पाता है जिसका समय बुद्ध से लेकर हाल ही के ब्रिटिश आगमन तक फैलता है। हरिद्वार कला, विज्ञान और संस्कृति को सीखने के लिए विश्व के आकर्षण का केन्द्र भी बनता हैं। हरिद्वार विद्यालय, प्राकृतिक सुंदरता और हरियाली के लिए भी एक आकर्षण का केन्द्र है
गंगा नदी की पहाड़ो से मैदान तक की यात्रा में हरिद्वार पहले प्रमुख शहरों में से एक है और यही कारण है कि यहां पानी साफ और शांत है। हरे भरे जंगल और छोटे तालाब इस पवित्र्ा भूमि को प्राकृतिक सुंदरता से जोड़ते हैं। राजाजी राष्ट्रीय उद्यान हरिद्वार से सिर्फ 10 किमी दूर है। जंगली जीवन और रोमांच प्रेमियों के लिए यह एक आदर्श स्थल है। प्रतिदिन सांय हरिद्वार के सभी प्रमुख घाट गंगा नदी की आरती की पवित्र्ा ध्वनि एवं दीपकों के दिव्य प्रकाश से प्रदीप्त होते हैं।
आज हरिद्वार का केवल धार्मिक महत्व ही नहीं है बल्कि यह एक आधुनिक सभ्यता का मंदिर भी है। भेल एक नवरत्न पीएसयू एवं 2034 एकड़ के कुल क्षेत्र्ा में फैला सिडकुल जिसके तहत हरिद्वार में स्थापित इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल एस्टेट(आईआईई) मंे अनेक उद्योग स्थापित हैं। साथ ही इससे पहले रूड़की विश्वविद्यालय विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र्ा में विश्व स्तर का पुराना और प्रतिष्ठित संस्थान है। जिले का एक अन्य प्रमुख विश्वविद्यालय अर्थात गुरूकुल अपने विशाल परिसर के साथ पारंपरिक एवं आधुनिक शिक्षा दे रहे हैं।
आशा करता हु आपको ये जानकारी अच्छी लगी हो
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